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एशेज का नाम सुनते ही दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमी के मन में रोमांच, competition, sledging जैसे ना जाने कितने शब्द दिमाग में चलने लगते हैं और ये सच भी है कि एशेज ने एक क्रिकेट प्रेमी को ये सब दिया है।पहली बार 29 अगस्त 1882 को ऑस्ट्रलिया
ने इग्लैंड को the ओवल में हराकर एशेज नाम की महान सीरीज का आगाज़ किया था।तबसे लेकर अभी तक 141 साल हो गए और इन 141 सालो में एशेज का रोमांच उसी तरह बरकरार है।

ऐसी ही एक सीरीज थी, 2005 की जिसे अगर एशेज की सबसे बेहतरीन और रोमांचक सीरीज कही जाए तो कम नहीँ होगा।इसमें हर वो मसाला था, जिसकी चाह एक सच्चे क्रिकेट प्रेमी को होती है।

दिन था 21 जुलाई, जब 2005 के एशेज की शुरुआत हुई थी।सीरीज से पहले सभी Cricket expert  Australia को ही Favorite मान रहे थे और Australia Favorite  क्यों ना हो ???….जिस टीम में हेडन, लैंगर, पोंटिंग, क्लार्क,
ग्लिक्रिस्ट, वार्न, गिलेस्पी, ब्रेट ली और मैक्ग्राथ जैसे एक से बढ़कर एक legendary players हो, भला उसे हराना कोई आसान काम नहीँ था।जबकि इंग्लैंड टीम में ऐसा कोई भी खिलाडी नहीँ था, जो अपने दम पर मैच का रुख मोड़ सके। ले देके इंग्लैंड के
पास ट्रेस्कोथिक, वॉन, होगार्ड, फ्लिंटॉफ जैसे experience player थे तो वहीँ केविन पीटरसन की ये पहली सीरीज़ थी।

जब लॉर्ड्स में हुए पहले टेस्ट मैच में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को महज 190 रनों पर ऑल आउट कर दिया तो लगा कि शायद अब कुछ गड़बड़ होने वाला है लेकिन पलटवार के लिए मशहूर ऑस्ट्रेलियन टीम ने इंग्लैंड को सिर्फ 155 रनों पर आउट करके दिखा दिया था कि
वो यहाँ वाकई में एशेज जीतने ही आये हैं।35 रनों की मामूली सी बढ़त पाकर आस्ट्रेलिया ने दूसरी पारी में 384 रन बनाकर इंग्लैंड को 420 रनों का पहाड़ जैसा टारगेट दिया था,  जिसके जवाब में english batting order सिर्फ 180 रनों पर ढह गया था
और ऑस्टेलिया ने ये मैच 239 रनों के बड़े margin से जीतकर 2005 के एशेज का आगाज़  ek jeet se किया था।

लोगों ने मान ही लिया था कि ये सीरीज भी ऑस्ट्रलिया बड़े आराम से जीत जायेगी। Edgbaston में हुए दूसरे टेस्ट में टॉस जीतकर ऑस्ट्रलिया ने इंग्लैंड को पहले बल्लेबाज़ी करने की दावत दी थी, इंग्लैंड के लिए ये सौदा तब फायदेमंद साबित हुआ जब स्ट्रॉस और
ट्रेस्कोथिक की सलामी जोड़ी ने पहले विकेट के लिए 112 रन जोड़ दिए थे। फिर Middle order में फ़्लिंटॉफ़ और पीटरसन ने अर्धशतक जड़ कर टीम का स्कोर 407 रन तक पहुंचाया था।वहीँ जवाब में ऑस्ट्रेलिया 308 रन बनाकर ऑल आउट हो गई थी।दूसरी
पारी में ऐसा लग रहा था कि इंग्लैंड की बैटिंग को साँप सूंघ गया हो , पूरी टीम अचानक 182 रनों के स्कोर पर लड़खड़ा गयी। अब इस मैच को जीतने के लिए ऑस्ट्रिलिया को चाहिए थे 282 रन , जो australian batting line up को देखकर बेहद
आसान लग रहा था……लेकिन…एंड्रू फ्लिंटॉफ के यादगार स्पेल ने australian बल्लेबाज़ों की कमर तोड़ दी और नतीजा ये हुआ कि  सिर्फ 2 रनों से जीतकर इंग्लैंड ने इस सीरीज को 1-1 की बराबरी पर लाकर खड़ा कर दिया था।

सीरीज रोमांचक मोड़ पर तब आ गयी थी, जब मेनचेस्टर में हुआ तीसरा टेस्ट डॉ हो गया था, वो तो भला हो ली और मैक्ग्रा जैसे पुछल्ले बल्लेबाज़ों का वरना ये टेस्ट मैच भी ऑस्ट्रलिया हारते हारते रह गयी थी।हांलकि इस मैच में माइकल वॉन और रिकी पोंटिंग ने अपनी
अपनी टीम की तरफ शतक जड़े थे लेकिन फिर भी दोनों की शतकीय पारी मैच के रिजल्ट के लिये काफी नहीँ थी।

चौथा टेस्ट नॉटिंघम में था…. और यहीँ पर ये फैसला होना था कि कौन सी टीम इस सीरीज में बढ़त बनायेगी।सभी की निगाहों इस टेस्ट मैच में गड़ी हुई थी।पहले बैटिंग करके इंग्लैड ने तगड़ी Australian bowling line up के सामने
477 का मजबूत स्कोर खड़ा किया था, जिसमें ऑल राउंडर फ्लिंटॉफ ने 102 रन बनाए थे।जवाब में ऑस्ट्रलिया जैसी  टीम 218 रन पर ऑलआउट होकर फॉलोऑन खाने पर मजबूर हो गयी थी, दूसरी inning में Australia के बल्लेबाज़ों ने बड़े ही मुस्तैदी
से बैटिंग करके 387 रन स्कोरबोर्ड पर टांग दिए थे।जिसकी वजह से इंग्लैड को 129 रनों का टारगेट चेस करने को मिला।पेपर पर ये टारगेट किसी भी टीम के लिये खीर खाने जितना आसान था लेकिन जब सामने ऑस्ट्रलिया जैसी टीम हो तो उस खीर को सम्भलकर खाना
चाहिए यानी 129 रनों को चेस करने के लिए इंग्लैंड को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा, इंग्लैंड के 7 विकेट पतझड़ की तरह गिर गए थे। फिर ashley Giles और Matthew Hoggard की जोड़ी ने 3 विकेट रहते ही इंग्लैंड को 2-1 से आगे करके पूरे
क्रिकेट जगत में  ये सनसनी फैला दी कि ऑस्ट्रलिया जैसी टीम एशेज में पीछे हो गयी है।

 

और अब होना था 2005 की ऐतिहासिक एशेज का अंतिम और decider test, जहाँ पर ये तय होना था कि 3-1 से सीरीज जीतकर इंग्लैंड 18 साल का एशेज जीतने का सूखा खत्म करेगी या फिर 2-2 से बराबरी कर ऑस्ट्रेलिया अपने ही पास एशेज रखेगी।
इस सीरीज़ में तीसरी बार टॉस जीतकर इंग्लैंड के कप्तान माइकल वॉन ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया। ये फैसला सही तब साबित हुआ, जब इंग्लैंड ने पहली innings में 373 रन बनाकर ऑस्ट्रलिया के गेंदबाज़ों की जमकर ख़बर ली, पहली पारी में
Opener Andrew Strauss ने 129 रन बनाए थे।बदले में ऑस्ट्रलिया ने भी मुहतोड़ जवाब देते हुए ओपनर लैंगर और हेडन की शतक के मदद से 367 रन बनाए। कुल मिलाकर ये मुकाबला बेहद interesting और बराबरी का था।

दूसरी पारी में इंग्लैंड ने series debutant Kevin Petersen के 158 रनों की पारी से एक बार फिर 300 से ज़्यादा का स्कोर बनाते हुए 335 रन बनाए थे और ऑस्ट्रलिया को 342 रनों का लक्ष्य दिया। ये मैच पाँचो दिन चला और इस मैच में कई
बार बारिश ने भी खलल डाला था और इस टेस्ट मैच का end उस तरह से नहीँ हुआ, जिसकी उम्मीद एक क्रिकेट प्रेमी कर रहा था। पांचवे दिन के आखिर मिनट में ऑस्ट्रलिया ने सिर्फ 4 ही रन बनाए थे कि अंपायर ने मैच को दोनों कप्तानों की सहमति से draw
declare करके ये तय कर दिया था कि इंग्लैंड ने 2-1 से ये सीरीज जीत ली है।

2005 का हर एक टेस्ट अपने रोमांच के लिए जाना जायेगा।अपने आप में ये सीरीज किसी फिल्म स्टोरी की तरह थी, जहाँ पर सारे इमोशन थे।इसमें दर्द था, ख़ुशी थी, ग़म था, गुस्सा था, Excitement था, Frustration थी और …..Sportsmanship
भी थी(Put Flintoff and Lee iconic ashes photo)

कमज़ोर कही जानी वाली इंग्लैंड ने मजबूत ऑस्ट्रलिया के सामने हर सेशन में डटकर मुकाबला किया था और हर डिपार्टमेंट में उन्हें पटखनी देकर उस दौर में ये साबित कर दिया था कि ऑस्ट्रलिया जैसी टीम को भी टेस्ट में हराया जा सकता है।इस सीरीज में फ्लिंटॉफ
और shane warne को player of the series का अवार्ड मिला जबकि आखिरी टेस्ट में केविन पीटरसन को man of the match से नवाज़ा गया।

कई लोगों को इस बार का एशेज 2005 की एशेज की याद दिला रहा है। फिलहाल अभी तक इस बार की एशेज सीरीज में 2-1 से ऑस्ट्रलिया आगे और अभी तक हुए तीन टेस्ट मैचों में दोनों ही टीमों ने हमें entertainment देने में कोई कसर नहीँ छोड़ी ।
हम उम्मीद करते है बाकी बचे दो टेस्ट भी पहले तीन टेस्ट matches की तरह ही कड़े हों और दोनों ही टीम एशेज जैसी historical series का रोमांच बनाये रखें।

 

 

 

 

 

 

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